दिल्ली पुलिस ने ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ घोटाले का पर्दाफाश कर चार आरोपियों को किया गिरफ्तार


(जीवन दिशा) नई दिल्ली, : दिल्ली पुलिस के नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट साइबर पीएस (@DcpNorthDelhi) ने एक बड़े साइबर घोटाले का भंडाफोड़ करते हुए चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इन आरोपियों ने व्हाट्सएप वीडियो कॉल्स के जरिए एक महिला को 48 घंटों तक कथित तौर पर ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ में रखकर ₹8.10 लाख की ठगी की। यह घोटाला फर्जी दस्तावेजों के साथ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारियों का भेष धरकर अंजाम दिया गया।
घोटाले का मास्टर माइंड
पुलिस के अनुसार, यह मामला 24 मार्च 2024 को शुरू हुआ जब पीड़िता को एक अज्ञात नंबर से कॉल आई, जिसमें कॉलर ने खुद को टेलीकॉम विभाग का अधिकारी बताते हुए फर्जी सिम कार्ड के इस्तेमाल का आरोप लगाया। इसके बाद, पीड़िता को व्हाट्सएप वीडियो कॉल्स के जरिए फर्जी ईडी और सीबीआई अधिकारियों ने संपर्क किया। इन धोखेबाजों ने महिला को एक काल्पनिक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसाने की धमकी दी और गिरफ्तारी की चेतावनी दी। उन्होंने फर्जी दस्तावेज, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के नकली स्टांप भी शामिल थे, भेजकर अपने दावों को सही ठहराने की कोशिश की।
महिला को दबाव में ₹8.10 लाख हस्तांतरित करने के लिए मजबूर किया गया। जांच में पता चला कि आरोपियों ने फर्जी सिम कार्ड, नकली बैंक खाते और स्थानीय लोगों की पहचान पत्रों का इस्तेमाल करके चेक के माध्यम से यह राशि निकाली। यह एक सुनियोजित तरीके से किया गया, जिसमें धन को विभिन्न चैनलों के जरिए स्थानांतरित किया गया।
दक्षिण दिल्ली में छापेमारी
इस मामले में साइबर पुलिस ने दक्षिण दिल्ली में छापेमारी की कार्रवाई शुरू की, जिसके परिणामस्वरूप चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। इस ऑपरेशन के दौरान एक महिंद्रा थार कार, कई मोबाइल फोन, फर्जी दस्तावेज और सिम कार्ड बरामद किए गए। डीसीपी (नॉर्थ) राजा ने बताया कि यह गिरोह साइबर धोखाधड़ी के लिए नकली बैंक खातों का संचालन कर रहा था, और जांच आगे भी जारी है।
महत्वपूर्ण जानकारी
पुलिस ने स्पष्ट किया कि ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ जैसी कोई चीज कानून प्रवर्तन द्वारा मान्य नहीं है। कानून प्रवर्तन एजेंसियां कभी भी वीडियो कॉल के माध्यम से गिरफ्तारी नहीं करतीं। यह एक साइबर ठगी का नया रूप है, जिसमें अपराधी लोगों के डर का फायदा उठाते हैं। दिल्ली पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे इस तरह के फर्जी कॉल्स और वीडियो कॉल्स की जानकारी तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन (1930) पर दें।
जांच और सावधानी
पुलिस इस मामले की गहन जांच कर रही है ताकि इस रैकेट के अन्य सदस्यों और अंतरराष्ट्रीय कनेक्शनों का पता लगाया जा सके। डीसीपी बनthia ने लोगों से आग्रह किया कि वे संदिग्ध कॉल्स पर तुरंत कार्रवाई करने से पहले सावधानी बरतें और प्रामाणिक स्रोतों से सत्यापन करें।
यह घटना दिल्ली पुलिस की साइबर अपराधों के खिलाफ चल रही मुहिम का हिस्सा है, जो नागरिकों को डिजिटल ठगी से बचाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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