अंडे खाने से अल्जाइमर का खतरा 47% तक कम हो सकता है: रश मेमोरी एंड एजिंग प्रोजेक्ट की नई स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा

(जीवन दिशा न्यूज़)- (स्पेशल रिपोर्ट) लेखक: डॉ. आर.के. शर्मा, स्वास्थ्य विशेषज्ञ, आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में दिमागी स्वास्थ्य एक बड़ी चुनौती बन चुका है। अल्जाइमर जैसी भयानक बीमारी, जो दुनियाभर में करोड़ों बुजुर्गों को अपनी चपेट में ले रही है, अब एक साधारण लेकिन पौष्टिक भोजन से रोकी जा सकती है। हां, हम बात कर रहे हैं अंडे की! अमेरिका के प्रतिष्ठित रश मेमोरी एंड एजिंग प्रोजेक्ट की एक नई स्टडी ने दावा किया है कि नियमित रूप से अंडा खाने वाले बुजुर्गों में अल्जाइमर डिमेंशिया का खतरा 47 प्रतिशत तक कम हो जाता है। यह खोज न सिर्फ न्यूरोलॉजी की दुनिया में हलचल मचा रही है, बल्कि यह भी साबित कर रही है कि फ्रिज में रखा यह सस्ता ‘सुपरफूड’ दिमाग का सबसे मजबूत ‘न्यूट्रोपिक’ यानी दिमागी बूस्टर हो सकता है।

स्टडी का खुलासा: एक अंडा प्रति सप्ताह ही काफी

शिकागो के रश यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर द्वारा संचालित रश मेमोरी एंड एजिंग प्रोजेक्ट (आरएमएपी) ने 1,000 से अधिक बुजुर्गों पर 8 वर्षों तक लंबे अध्ययन के बाद यह नतीजा निकाला है। जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में प्रकाशित इस रिसर्च में पान वाई, टेलर सी. वॉलेस और उनके सहयोगियों ने पाया कि जो लोग सप्ताह में एक से अधिक अंडे खाते थे, उनके ब्रेन में अल्जाइमर से जुड़ी पैथोलॉजी (जैसे अमाइलॉइड प्लाक और टॉगल्स) 53 प्रतिशत तक कम पाई गई। सप्ताह में दो या अधिक अंडे खाने वालों में यह प्रभाव और भी मजबूत था।

“यह अध्ययन हमें बताता है कि अंडे का सेवन अल्जाइमर डिमेंशिया के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकता है,” स्टडी के प्रमुख लेखक पान वाई ने कहा। “हमने पाया कि अंडे में मौजूद चोलीन, ल्यूटीन और विटामिन बी12 जैसे पोषक तत्व ब्रेन हेल्थ के लिए क्रांतिकारी साबित हो सकते हैं।” स्टडी में शामिल प्रतिभागी औसतन 81 वर्ष के थे, और इनमें से 47 प्रतिशत महिलाएं थीं। शोधकर्ताओं ने आहार डायरी, ब्लड टेस्ट और ब्रेन ऑटोप्सी के माध्यम से डेटा एकत्र किया, जो इसकी विश्वसनीयता को और मजबूत बनाता है।

क्यों हैं अंडे दिमाग के लिए ‘सुपरहीरो’?

अंडा कोई साधारण भोजन नहीं है। यह एक पूरा पोषण पैकेज है, जिसमें प्रोटीन, हेल्दी फैट्स और कई माइक्रोन्यूट्रिएंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं। स्टडी के अनुसार, अंडे में मौजूद प्रमुख तत्व जो अल्जाइमर से लड़ने में मदद करते हैं, वे हैं:

  चोलीन (Choline): यह न्यूरोट्रांसमीटर एसिटाइलकोलीन का मुख्य स्रोत है, जो मेमोरी और लर्निंग के लिए जरूरी है। अल्जाइमर में एसिटाइलकोलीन की कमी हो जाती है, और चोलीन इसे संतुलित रखता है। एक उबला अंडा लगभग 147 मिलीग्राम चोलीन देता है, जो दैनिक जरूरत का 27 प्रतिशत है।

  ल्यूटीन (Lutein): यह एंटीऑक्सीडेंट आंखों के साथ-साथ ब्रेन को भी स्वस्थ रखता है। रिसर्च में पाया गया कि ल्यूटीन कॉग्निटिव फंक्शन को प्रिजर्व करता है और ब्रेन के एजिंग प्रोसेस को धीमा करता है।

  विटामिन बी12 (B12): मेमोरी फंक्शन से सीधे जुड़ा हुआ, बी12 की कमी अल्जाइमर का एक बड़ा रिस्क फैक्टर है। अंडे में यह विटामिन आसानी से अवशोषित होता है, खासकर शाकाहारी लोगों के लिए जो बी12 की कमी से जूझते हैं।

इसके अलावा, अंडे में ओमेगा-3 फैटी एसिड्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी ब्रेन कोलेजन को मजबूत बनाते हैं, जो न्यूरोइंफ्लेमेशन को कम करते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ये तत्व मिलकर ब्रेन के न्यूरॉन्स को प्रोटेक्ट करते हैं और डिमेंशिया के शुरुआती लक्षणों को रोकते हैं।

अल्जाइमर: एक वैश्विक महामारी जो भारत को भी निगल रही है

अल्जाइमर डिमेंशिया दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 2025 तक 55 मिलियन से अधिक लोग इससे प्रभावित होंगे, और भारत में यह संख्या 10 मिलियन को पार कर चुकी है। बुजुर्गों में मेमोरी लॉस, कन्फ्यूजन और डेली एक्टिविटीज में दिक्कत जैसे लक्षणों से परिवार टूट जाते हैं। पारंपरिक इलाज महंगे और सीमित प्रभावी हैं, इसलिए प्रिवेंटिव अप्रोच जैसे डाइट चेंजेस पर जोर दिया जा रहा है।

भारतीय संदर्भ में यह स्टडी और भी प्रासंगिक है। हमारे देश में अंडा एक सस्ता और उपलब्ध भोजन है, लेकिन कोलेस्ट्रॉल के मिथक के कारण कई लोग इससे परहेज करते हैं। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुनीता गुप्ता कहती हैं, “अंडे का कोलेस्ट्रॉल हेल्दी लोगों के लिए हानिकारक नहीं है। बल्कि, इसके लाभ ब्रेन हेल्थ के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं। सप्ताह में 3-4 अंडे खाना सुरक्षित और फायदेमंद है।”

विशेषज्ञों की राय: क्या यह ‘मिरेकल फूड’ है?

स्टडी को लेकर न्यूट्रिशन एक्सपर्ट्स उत्साहित हैं, लेकिन सतर्क भी। टफ्ट्स यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर टेलर वॉलेस, जो स्टडी के सह-लेखक हैं, ने कहा, “यह कोरिलेशन है, न कि कॉजेशन। लेकिन डेटा मजबूत है। अंडे को बैलेंस्ड डाइट का हिस्सा बनाएं, न कि इकलौता समाधान।”

भारतीय डायटीशियन एसोसिएशन की चेयरपर्सन डॉ. नेहा शर्मा ने ‘हेल्थ न्यूज इंडिया’ को बताया, “अंडे के साथ हरी सब्जियां, नट्स और फिश जैसे ओमेगा-3 सोर्सेज को मिलाकर डाइट लें। लेकिन डायबिटीज या हाई कोलेस्ट्रॉल वाले मरीज डॉक्टर से सलाह लें।” वे चेतावनी देती हैं कि स्टडी में केवल बुजुर्गों पर फोकस था, इसलिए युवाओं के लिए लॉन्ग-टर्म इफेक्ट्स पर और रिसर्च जरूरी है।

कुछ आलोचक कहते हैं कि स्टडी ऑब्जर्वेशनल है, यानी यह साबित नहीं करती कि अंडा ही एकमात्र कारण है। लेकिन 8 वर्षों का फॉलो-अप और ब्रेन पैथोलॉजी एनालिसिस इसे विश्वसनीय बनाता है।

प्रैक्टिकल टिप्स: आज से शुरू करें अंडे का सफर

अगर आप अल्जाइमर से बचाव चाहते हैं, तो यहां कुछ आसान टिप्स:

  डेली रूटीन: सप्ताह में कम से कम 2-3 उबले या पोच्ड अंडे खाएं। तला हुआ अवॉइड करें।

  कॉम्बिनेशन: अंडे को पालक या टमाटर के साथ मिलाकर खाएं, ताकि ल्यूटीन का फायदा दोगुना हो।

  मॉनिटरिंग: 50 वर्ष से ऊपर के लोग नियमित ब्रेन चेकअप करवाएं।

  अन्य फूड्स: ब्लूबेरी, ग्रीन टी और फैटी फिश जैसे ब्रेन-फ्रेंडली फूड्स को भी शामिल करें।

निष्कर्ष: सस्ता समाधान, बड़ा असर

यह स्टडी हमें याद दिलाती है कि स्वास्थ्य के रहस्य अक्सर जटिल दवाओं में नहीं, बल्कि रोजमर्रा के भोजन में छिपे होते हैं। अंडा, जो सदियों से भारतीय थाली का हिस्सा रहा है, अब वैज्ञानिक प्रमाण के साथ ब्रेन प्रोटेक्शन का प्रतीक बन गया है। लेकिन याद रखें, कोई भी डाइट चेंज बिना डॉक्टर की सलाह के न करें। अल्जाइमर जैसी बीमारी से लड़ाई प्रिवेंशन से ही जीती जा सकती है। क्या आपका फ्रिज में अंडे तैयार हैं? आज ही ट्राई करें और अपने दिमाग को मजबूत बनाएं!

 यह रिपोर्ट स्वास्थ्य जागरूकता के उद्देश्य से तैयार की गई है। चिकित्सकीय सलाह के लिए विशेषज्ञ से संपर्क करें।)

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