(जीवन दिशा न्यूज़): आज की दुनिया में प्लास्टिक हमारी जिंदगी का अटूट हिस्सा बन चुका है। बोतलें, पैकेजिंग, कपड़े, और यहां तक कि कॉस्मेटिक्स – हर जगह प्लास्टिक है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये प्लास्टिक छोटे-छोटे कणों में टूटकर हमारे शरीर में प्रवेश कर रहे हैं? ये कण, जिन्हें माइक्रोप्लास्टिक्स कहा जाता है, अब हमारे भोजन, पानी, हवा और यहां तक कि हमारे अंगों में पाए जा रहे हैं। हालिया अध्ययनों से पता चला है कि औसत व्यक्ति हर साल 39,000 से 52,000 माइक्रोप्लास्टिक कणों को निगलता है, और ये कण हमारे स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा बन सकते हैं। इस लेख में हम माइक्रोप्लास्टिक्स के स्रोत, शरीर में प्रवेश, हाल के अध्ययन और स्वास्थ्य प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
माइक्रोप्लास्टिक्स क्या हैं और ये कहां से आते हैं?
माइक्रोप्लास्टिक्स वे छोटे प्लास्टिक कण हैं जो 5 मिलीमीटर से छोटे होते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं: प्राइमरी (जैसे कॉस्मेटिक्स में इस्तेमाल होने वाले छोटे बीड्स) और सेकेंडरी (बड़े प्लास्टिक के टूटने से बनने वाले)। ये कण पर्यावरण में हर जगह फैल चुके हैं – समुद्रों, नदियों, मिट्टी, हवा और यहां तक कि घरेलू धूल में।
वैज्ञानिकों के अनुसार, प्लास्टिक उत्पादन में वृद्धि के कारण माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा तेजी से बढ़ रही है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के अनुसार, हर साल 14 मिलियन टन प्लास्टिक समुद्र में डाला जाता है, जो माइक्रोप्लास्टिक्स का मुख्य स्रोत है। हाल ही में एक अध्ययन में पाया गया कि घरों और कारों में हवा में उड़ते माइक्रोप्लास्टिक्स भी स्वास्थ्य के लिए खतरा हैं। इसके अलावा, सिंथेटिक कपड़ों से धुलाई के दौरान निकलने वाले फाइबर्स और टायरों से घिसाव भी इन कणों को बढ़ाते हैं।
हम कितने माइक्रोप्लास्टिक्स निगल रहे हैं?
एक प्रमुख अध्ययन के अनुसार, औसत व्यक्ति हर साल भोजन, पानी और हवा के माध्यम से 39,000 से 52,000 माइक्रोप्लास्टिक कणों को ग्रहण करता है। बोतलबंद पानी, सीफूड, मांस और यहां तक कि चाय की थैलियों में ये कण पाए जाते हैं। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का अनुमान है कि वयस्क व्यक्ति हर हफ्ते एक क्रेडिट कार्ड के बराबर प्लास्टिक निगलते हैं।
इन कणों का प्रवेश तीन मुख्य तरीकों से होता है:
• मौखिक रूप से (Ingestion): भोजन और पेय पदार्थों के माध्यम से, खासकर सीफूड