(जीवन दिशा न्यूज़) तनाव, चिड़चिड़ाहट, स्ट्रेस, घबराहट, बेचैनी, दुःख – ये सब विशेषण हो चुके हैं हमारे जीवन के। परिणाम स्वरूप इंसान जीवन को सिर्फ और सिर्फ एक कठिन परीक्षा मान लेता है। परन्तु हमारे वैदिक ऋषि-मुनियों ने इस जीवन को ‘सरल’ भी कहा और ‘कठिन’भी। कठिन तब है, जब जीवन भाग्य और परिस्थितियों का मोहताज़ हो। सरल तब है, जब हम अपनी जीवन कहानी खुद लिखते हैं। इस कहानी को लिखने के लिए एक हीशाश्वत कलम है। वह है, ध्यान-साधना! ब्रह्मज्ञान का ध्यान हमारे अस्तित्व के हर स्तर पर काम करता है। हमारे हर पक्ष, हर रंग, सम्पूर्ण स्वरूप को नव निर्मित कर देता है।कैसे? आइए जानें।
ध्यान करने वाले कम बीमार! नियमित साधना हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए लाभकारी है। यह देखा गया कि जब साधना करने वाले समूह को फ्लू वायरस इंजेक्ट किया गया, तो इन साधकों के शरीरों ने बहुत अधिक मात्रा में एंटीबॉडी (रोग प्रतिरोधी) तत्त्वों का निर्माण किया। इससे साधकों में वायरस से लड़ने की क्षमता बेहद बढ़ गई। अतः ध्यान प्रतिरक्षा तंत्र को मज़बूत करता है।
ध्यान करने वालों का ब्लड प्रेशर और हृदय स्वस्थ! अनुसंधानों में यह भी पाया गया कि साधना से हृदय की अवस्था में सुधार आता है। नियमित ध्यान से हृदय की धमनियों में नाइट्रिक ऑक्साइड का उत्पादन होता है। इससे धमनियाँ फैल जाती हैं और शरीर का ब्लड प्रेशर कम हो जाता है। इस वजह से दिल का दौरा पड़ने की संभावना भी कम हो जाती है और इंसान एक स्वस्थ जीवन का लाभ उठाता है।
ध्यान करने वालों का दिमाग कुशाग्र! ग्रे मैटर ‘न्यूरोनल सेल बॉडीज’, न्यूरोपिल आदि से बना होता है, जो मस्तिष्क में मौजूद जानकारी का विश्लेषण करता है। ध्यान एक ऐसीशाश्वत और शक्तिशाली विधि है, जिससे मस्तिष्क में मौजूद ग्रे मैटर को भी बढ़ाया और सशक्त किया जा सकता है।
ध्यान करने वालों के जीन्स सक्रिय! सन् 2008 में, हार्वर्ड में हुए एक अनुसंधान से पाया गया कि साधना की शक्ति इतनी प्रबल है कि वह साधक के सूक्ष्म जेनेटिक स्तर में भी बदलाव ला सकती है। अध्ययनों से यह भी प्रमाणित हुआ कि साधना हमारी रक्षा कैंसर, डायबिटीज़ जैसे रोगों से भी करती है, जिनसे बचने के लिए आज हम न जाने कितने-कितने प्रयास करते हैं!
ध्यान करने वालों का मन सुन्दर! साधना एक ऐसी कला है, जिससे आप अपनी मानसिक उठा-पटक को भी काबू में कर सकते हैं। साधना आपको सामर्थ्य प्रदान करती है, ताकि अपने मन के वशीभूत होकर आप कोई गलत फैसला न लें। यह पाया गया है कि साधना से एक इंसान की रचनात्मक शक्ति बढ़ती है। साधना एक इंसान की अभिज्ञता, संवेदना और आत्म स्वीकृति में प्रगति लाती है। निरन्तर साधना से हमारी सहनशीलता में भी बढ़ोत्तरी होती है।
यूँ तो आज मेडिटेशन एक फैशन-नुमा कांसेप्ट बन गया है। जिसको देखो स्टाइल से कहता है- ‘मैं मेडिटेशन करता/करती हूँ।’ पर ध्यान की शाश्वत विधि केवल एक पूर्ण गुरु से ही मिलती है। ध्यान की यह प्रक्रिया सद्गुरु द्वारा ब्रह्मज्ञान में दीक्षित होने पर औरतृतीय नेत्र खुलने पर ही शुरु होती है। वास्तव में, इसी ध्यान से जीवन के हर पक्ष और स्तर में परिवर्तन आता है- उससे कहीं अधिक जितना हमने अभी इस लेख में पढ़ा।