(जीवन दिशा न्यूज़) देश में पशुओं के खिलाफ क्रूरता को रोकने के लिए साल 1960 में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम लाया गया था। इस अधिनियम का उद्देश्य पालतु पशुओं को अनावश्यक सजा या जानवरों के उत्पीड़न की प्रवृत्ति को रोकना है। मामले को लेकर कई तरह के प्रावधान इस ऐक्ट में शामिल हैं। जैसे, अगर कोई पशु मालिक अपने पालतू जानवर को आवारा छोड़ देता है, या बिमारी में उसका इलाज नहीं कराता, भूखा-प्यासा रखता है तब ऐसा व्यक्ति पशु क्रूरता का अपराधी होगा। साथ ही इस अधिनियम में कुत्तों, बिल्लियों एवं चूहों पर भी अत्याचार करने वाले व्यक्ति को दंडित करने का प्रावधान हैं।
