आईएनएस चीता, गुलदार और कुंभीर को 40 वर्षों की उत्कृष्ट सेवा देने के बाद सेवामुक्त किया गया

(जीवन दिशा न्यूज़) भारतीय नौसेना के युद्धपोत चीता, गुलदार और कुंभीर को राष्ट्र की चार दशकों की गौरवशाली सेवा प्रदान करने के बाद 12 जनवरी, 2024 को सेवामुक्त कर दिया गया। इन जहाजों को कार्य मुक्त करने का कार्यक्रम पोर्ट ब्लेयर में एक पारंपरिक समारोह में आयोजित किया गया था, जिसमें सूर्यास्त के समय राष्ट्रीय ध्वज, नौसेना पताका और तीन जहाजों के डीकमीशनिंग प्रतीक को अंतिम बार नीचे उतारा गया।


आईएनएस चीता, गुलदार और कुंभीर को पोलैंड के ग्डिनिया शिपयार्ड में पोल्नोक्नी श्रेणी के ऐसे जहाजों के रूप में तैयार किया गया था, जो टैंकों, वाहनों, कार्गो तथा सैनिकों को सीधे कम ढलान वाले समुद्र तट पर बिना गोदी के पहुंचा सकते थे। इन युद्धपोतों को क्रमशः 1984, 1985 और 1986 में पोलैंड में भारत के तत्कालीन राजदूत श्री एस के अरोड़ा (चीता एवं गुलदार) तथा श्री ए के दास (कुंभीर) की उपस्थिति में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। तीनों जहाजों के कमांडिंग ऑफिसर के तौर पर क्रमशः कमांडर वीबी मिश्रा, लेफ्टिनेंट कमांडर एसके सिंह और लेफ्टिनेंट कमांडर जे बनर्जी को तैनात किया था। अपने प्रारंभिक वर्षों के दौरान, आईएनएस चीता को कुछ समय के लिए कोच्चि व चेन्नई में रखा गया था और आईएनएस कुंभीर तथा गुलदार विशाखापत्तनम में सेवा दे रहे थे। बाद में इन जहाजों को अंडमान और निकोबार कमान में तैनात किया गया, जहां उन्होंने कार्यमुक्त होने तक अपनी सेवाएं दीं। ये युद्धपोत भारतीय नौसेना सेवा में लगभग 40 वर्षों तक सक्रिय रहे थे और 12,300 दिनों से अधिक समय तक समुद्र में रहते हुए सामूहिक रूप से लगभग 17 लाख समुद्री मील की दूरी तय की। अंडमान और निकोबार कमान के जल स्थलचर मंच के रूप में, इन जहाजों ने तट पर सेना के जवानों को उतारने के लिए समुद्र तट पर 1300 से अधिक अभियान संचालित किए हैं।


इन युद्धपोतों ने अपनी शानदार यात्राओं के दौरान, कई समुद्री सुरक्षा गतिविधियों और मानवीय सहायता एवं आपदा राहत अभियानों में भाग लिया है। उनमें से उल्लेखनीय अभियान इस प्रकार से हैं, आईपीकेएफ ऑपरेशन के हिस्से के रूप में ऑपरेशन अमन के दौरान उनकी भूमिका और मई 1990 में भारतीय व श्रीलंकाई सीमा पर हथियारों एवं गोला-बारूद की तस्करी तथा अवैध अप्रवास को नियंत्रित करने हेतु ऑपरेशन ताशा भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल के सहयोग से चलाया गया एक संयुक्त अभियान था। इसके बाद इन्होंने 1997 में श्रीलंका में आए चक्रवात और 2004 में हिंद महासागर में आई सुनामी के बाद राहत कार्यों में उत्कृष्ट योगदान दिया था।

भारतीय नौसेना के जहाजों चीता, गुलदार और कुंभीर ने भारतीय समुद्री परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी है और उनका सेवामुक्त होना भारतीय नौसेना के इतिहास के एक महत्वपूर्ण अध्याय के अंत का प्रतीक है।

पोर्ट ब्लेयर में आयोजित हुए समारोह में एयर मार्शल साजू बालाकृष्णन, एवीएसएम, वीएम, कमांडर-इन-चीफ अंडमान और निकोबार कमांड (सीआईएनसीएएन), वाइस एडमिरल तरुण सोबती, एवीएसएम, वीएसएम, नौसेना स्टाफ के उप प्रमुख, फ्लैग ऑफिसर, पूर्व कमांडिंग ऑफिसर तथा तीन जहाजों के कमीशनिंग क्रू भाग लिया। यह कार्यक्रम इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि एक ही श्रेणी के तीन युद्धपोतों को एक ही दिन में एक साथ सेवामुक्त कर दिया गया।

 

Check Also

दिल्ली में सनसनीखेज डकैती: प्रिय ज्वेलर्स के कर्मचारियों पर हमला, 43 लाख के गहने लूटे

(जीवन दिशा) नई दिल्ली, : राजधानी दिल्ली के कोहाट मेट्रो स्टेशन, पीतमपुरा के पास एक …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds

This will close in 20 seconds