(जीवन दिशा न्यूज़) वरिष्ठ माता-पिता को उनके बुढ़ापे को सुखद एवं सुरक्षित बनाने हेतु कानूनन क्या-क्या अधिकार दिया गया हैं। एनसीआईबी के चीफ लीगल एडवाइजर एवं लखनऊ हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट ए०पी शुक्ल ने बताया कि बुजुर्ग माता-पिता को कानून ने कई अधिकार दिए हैं। कोई भी बच्चा अपने पेरेंट्स को न तो परेशान कर सकता हैं और न ही अपने पेरेंट्स को उनके घर से नहीं निकाल सकता। यदि घर की रजिस्ट्री बेटे के नाम है तो उस केस में बेटे को पिता को हर माह गुजाराभत्ता देना जरूरी होता है। जानिए इसमें क्या कहता है कानून।
बुजुर्ग माता-पिता के अधिकार
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• बुजुर्ग माता-पिता को अपने बच्चों से भरण-पोषण पाने का अधिकार है।
• जिस घर में वे रह रहें, उसकी रजिस्ट्री उन्हीं के नाम पर है तो बच्चा उन्हें घर से बाहर नहीं कर सकता।
• बच्चे अपने घर में उन्हें नहीं रखना चाहता तो उसे पेरेंट्स को हर माह गुजाराभत्ता देना होगा।
• गुजाराभत्ता पेरेंट्स की जरूरतों और बेटे की कमाई के हिसाब से तय होता है।
बेटा घर से बाहर कर दे तो क्या करें
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‘ वरिष्ठ नागरिक संरक्षण अधिनियम, 2005 के तहत पेरेंट्स ऐसे में कार्रवाई की मांग कर सकते हैं।
• सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारा-भत्ते की मांग कर सकते हैं।
• कलेक्टर को शिकायत की जा सकती है।
• बच्चे ने मारपीट की या धमकी है तो पुलिस में भी शिकायत की जा सकती है।
• पुलिस मामले को न सुने तो मजिस्ट्रेट या फैमिली कोर्ट में अपील कर सकते हैं।
धोखे से घर अपने नाम करवानें पर
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• यदि किसी बच्चे ने पेरेंट्स को बहला-फुसलाकर धोखे से अपने नाम उनकी प्रॉपर्टी करवाली है तो यह मान्य नहीं होगी।
• पेरेंट्स इसकी शिकायत करते हैं तो जिला प्रशासन उन्हें वापस कब्जा दिलवा सकता है।
• प्रशासन से सहयोग न मिलने पर पेरेंट्स कोर्ट में केस लगा सकते हैं।
गुजाराभत्ता न दिया तो सजा का प्रावधान
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• कोर्ट ऑर्डर के बाद भी कोई बच्चा अपने पेरेंट्स को गुजाराभत्ता नहीं देता उसे 1 माह का कारावास हो सकता है।
• बच्चे किसी भी तरह से बुजुर्ग माता-पिता को परेशान नहीं कर सकते।